उस घर की चार दीवारों में गुज़रा मेरा बचपन, अक्सर मुझे याद आता है। सारे लम्हें समेट उस घर की चार दीवारों में गुज़रा मेरा बचपन, अक्सर मुझे याद आता है। सारे...
मिट्टी की सोंधी सुगंध से सद्भावों की अलख जगाएँ। मिट्टी की सोंधी सुगंध से सद्भावों की अलख जगाएँ।
जाने कहां गया वो मेरा नन्हा सा बचपन। जाने कहां गया वो मेरा नन्हा सा बचपन।
खुद को खो कर कुछ पाया, और कुछ पा कर सब खो दिया। खुद को खो कर कुछ पाया, और कुछ पा कर सब खो दिया।
नए साल की तरह हर बार जिंदगी नहीं खिलती हँसी से, नए साल की तरह हर बार जिंदगी नहीं खिलती हँसी से,
न तू अजनबी है न मैं तेरे लिए अजनबी रूह से महसूस कर, ज़रा इस रिश्ते को। न तू अजनबी है न मैं तेरे लिए अजनबी रूह से महसूस कर, ज़रा इस रिश्ते को।